राजस्थान की रंग-बिरंगी संस्कृति से कौन परिचित नहीं है | राजस्थान का नाम आते ही सिर पर रंग बिरेंगे साफे (पगड़ियाँ) व बड़ी-बड़ी मूंछों वाले चेहरों की छवि मन मस्तिष्क पर छा जाती है |
राजस्थान की संस्कृति में तरह तरह की रंग बिरंगी पगड़ियाँ सिर पर पहनने का रिवाज व शौक सदियों से रहा है यहाँ हर वर्ग व समुदाय के पुरुषों के सिर पर अलग-अलग रंग व अलग-अलग डिजाइन की पगड़ियाँ नजर आती है |
राजस्थान के राजपूत समाज में तो पगड़ी गौरव का प्रतीक है | पर पिछले कई वर्षों में नई पीढ़ी के लोगों का पगड़ी के प्रति रुझान कम हो गया था फलस्वरूप लोग पगड़ी बांधना भी काफी हद तक भूल गए थे | शादी बारातों में भी साफे बांधने वालों की कमी हो गयी थी बस कुछ धनी लोग ही साफा बाँधने वालों को मुंह माँगा पैसा देकर साफा बंधवाते थे पर जोधपुर के शेर सिंह को यह बात जची नहीं उन्होंने संकल्प लिया कि वे राजस्थानी संस्कृति के इस प्रतीक साफे को आम जन के उपयोग हेतु उपलब्ध करा कर इसे जन-जन तक पहुंचा कर वापस लोकप्रिय बनायेंगे और उन्होंने अपने सिमित साधनों से बंधा-बंधाया साफा उपलब्ध कराकर वर्तमान पीढ़ी में इसे लोकप्रिय करने में काफी सफलता हासिल कर ली |
आज शेर सिंह जी और उनके परिजनों की जोधपुर में बंधे बंधाये साफों की कई दुकाने है जहाँ से साफा खरीदकर हर वर्ग व समुदाय के लोग इसका इस्तेमाल कर सकते है यही नहीं शेर सिंह जी व उनके परिजनों ने राजस्थानी साफे को सात समन्दर पार विदेशों में भी पहचान दिलाई है इसका सबूत है विदेशों से शादी समारोहों में विदेशी लोग इन्हें साफा बाँधने बुलाते है |
राजस्थान की संस्कृति में तरह तरह की रंग बिरंगी पगड़ियाँ सिर पर पहनने का रिवाज व शौक सदियों से रहा है यहाँ हर वर्ग व समुदाय के पुरुषों के सिर पर अलग-अलग रंग व अलग-अलग डिजाइन की पगड़ियाँ नजर आती है |
राजस्थान के राजपूत समाज में तो पगड़ी गौरव का प्रतीक है | पर पिछले कई वर्षों में नई पीढ़ी के लोगों का पगड़ी के प्रति रुझान कम हो गया था फलस्वरूप लोग पगड़ी बांधना भी काफी हद तक भूल गए थे | शादी बारातों में भी साफे बांधने वालों की कमी हो गयी थी बस कुछ धनी लोग ही साफा बाँधने वालों को मुंह माँगा पैसा देकर साफा बंधवाते थे पर जोधपुर के शेर सिंह को यह बात जची नहीं उन्होंने संकल्प लिया कि वे राजस्थानी संस्कृति के इस प्रतीक साफे को आम जन के उपयोग हेतु उपलब्ध करा कर इसे जन-जन तक पहुंचा कर वापस लोकप्रिय बनायेंगे और उन्होंने अपने सिमित साधनों से बंधा-बंधाया साफा उपलब्ध कराकर वर्तमान पीढ़ी में इसे लोकप्रिय करने में काफी सफलता हासिल कर ली |
आज शेर सिंह जी और उनके परिजनों की जोधपुर में बंधे बंधाये साफों की कई दुकाने है जहाँ से साफा खरीदकर हर वर्ग व समुदाय के लोग इसका इस्तेमाल कर सकते है यही नहीं शेर सिंह जी व उनके परिजनों ने राजस्थानी साफे को सात समन्दर पार विदेशों में भी पहचान दिलाई है इसका सबूत है विदेशों से शादी समारोहों में विदेशी लोग इन्हें साफा बाँधने बुलाते है |
साफा बंधते हुए शेर सिंह साफा
pag to pag h sa rajputa ri shan aur laj h pag
ReplyDeletethanks a lot for sending such a nice comments on pagdi. sher singh sa has resolved the problem of tieing pagdi which generally new generation didn't know.this will encourage use of pagdi on all occasion/rituals.
ReplyDeletethanks and keep on writing on such cultural issues.only rajasthani can better understand the cultural value of pagdi.
thanks ratan sa and sher sa both.with best complements and regards.
मेरे पास कई साफे हैं, मगर कई बार प्रयत्न कर के भी ठीक से नहीं बांध पाया। क्या साफा बांधना सिखाएँगे इस ब्लाग पर?
ReplyDeleteअधिक टिप्पणियाँ प्राप्त करने के लिए ये वर्ड वेरीफिकेशन हटाएँ।
वाह !
ReplyDeleteअपनी तरह का अद्भुत ब्लॉग है यह.
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है.
कभी साफे के बारे में इस तरह से सोचा ही नहीं.
नमस्कार ! आपकी यह पोस्ट जनोक्ति.कॉम के स्तम्भ "ब्लॉग हलचल " में शामिल की गयी है | अपनी पोस्ट इस लिंक पर देखें http://www.janokti.com/category/ब्लॉग-हलचल/
ReplyDeleteयह लेखनी कैसी कि जिसकी बिक गयी है आज स्याही !
यह कलम कैसी कि जो देती दलालों की गवाही !
पद-पैसों का लोभ छोड़ो , कर्तव्यों से गाँठ जोड़ो ,
पत्रकारों, तुम उठो , देश जगाता है तुम्हें !
तूफानों को आज कह दो , खून देकर सत्य लिख दो ,
पत्रकारों , तुम उठो , देश बुलाता है तुम्हें !
" जयराम विप्लव "
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
जनोक्ति.कॉम www.janokti.com एक ऐसा हिंदी वेब पोर्टल है जो राज और समाज से जुडे विषयों पर जनपक्ष को पाठकों के सामने लाता है . हमारा प्रयास रोजाना 400 नये लोगों तक पहुँच रहा है . रोजाना नये-पुराने पाठकों की संख्या डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है . 10 हजार के आस-पास पन्ने पढ़े जाते हैं . आप भी अपने कलम को अपना हथियार बनाइए और शामिल हो जाइए जनोक्ति परिवार में !
अच्छी जानकारी के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
किसी भी तरह की तकनीकिक जानकारी के लिये अंतरजाल ब्लाग के स्वामी अंकुर जी, हिन्दी टेक ब्लाग के मालिक नवीन जी और ई गुरू राजीव जी से संपर्क करें ।
ब्लाग जगत पर संस्कृत की कक्ष्या चल रही है ।
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर आकर हमारा मार्गदर्शन करें व अपने सुझाव दें, और अगर हमारा प्रयास पशंद आये तो हमारे फालोअर बनकर संस्कृत के प्रसार में अपना योगदान दें ।
धन्यवाद
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
उत्तम लेखन… आपके नये ब्लाग के साथ आपका स्वागत है। अन्य ब्लागों पर भी जाया करिए। मेरे ब्लाग "डिस्कवर लाईफ़" जिसमें हिन्दी और अंग्रेज़ी दौनों भाषाओं मे रच्नाएं पोस्ट करता हूँ… आपको आमत्रित करता हूँ। बताएँ कैसा लगा। धन्यवाद... It would have been better had you written... "Pride of Rajasthan" rather than "Pride of Rajputs"...
ReplyDeleteइस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteयह साफा तो बहुत पसंद आया....बधाई. 'शब्द-सृजन की ओर' भी आयें...
ReplyDeletewakai me rajasthan kigathaye hamesha se hi gourav -purn rahin hai. rajasthani sanskriti ne hame bahut kuchh diya hai.aur ham sabhi ne unse kuchh na kuchh seekha hi hai.
ReplyDeletebahut hibadhiya laga.
poonam
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई .कृपया हम उन कारणों को न उभरने दें जो परतंत्रता के लिए ज़िम्मेदार है . जय-हिंद
ReplyDeleteवाह अच्छा लगा
ReplyDeleteमहाजन की भारत-यात्रा
आप सभी अग्रजों को भी दीपावली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। बड़ों के आशीष रूपी नाव के द्वारा ही हम समस्याओं के अनंत समुद्र को पार करने में सफल होंगे...।
ReplyDeleteपुनश्च- धन्यवाद
पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
ReplyDeleteप्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
या हादी
(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)
या रहीम
(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)
आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
{आप की अमानत आपकी सेवा में}
इस पुस्तक को पढ़ कर
पांच लाख से भी जियादा लोग
फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom
bahut hi badiya...
ReplyDeletePlease Visit My Blog..
Lyrics Mantra
मैं भी राजपुत हूं। इस वजह से मैं आपके इस बात से सहमत हूं कि आज राजपुत जाति के लोग पगडी का मूल्य नही समझ रहे हैं। पगडी पहनने से अपना अपमान समझते हैं। अच्छा पोस्ट। नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसाफा बांधना एक कला है , निश्चय ही सबको नहीं आती । साफा बंधा होने पर एक भव्यता आ जाती है । राजस्थान और राजपूतों की एक अलग ही आन बान और शान है ।
ReplyDeleteHaye
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